- कपिल जलधारा में मां नर्मदा का एक छोर डिंडौरी और दूसरा छोर अनूपपुर जिले में आता है
डीडीएन इनपुट डेस्क | कपिल धारा पुण्यसलिला मां नर्मदा नदी का पहला जलप्रपात (वाटरफाॅल) है। यह मां नर्मदा के उद्गम कुंड से उत्तर-पश्चिम दिशा में 6 किलोमीटर दूर स्थित है। इससे मां नर्मदा का जल 100 फीट से अधिक की ऊंचाई से गिरता है, जिसे देखना किसी चमत्कार से कम नहीं। मेकल पर्वत की पहाड़ियों से नीचे गिरते जलप्रपात को देखने के लिए रोजाना हजारों लोग दुनियाभर से अमरकंटक आते हैं। बारिश के दिनों में पर्यटकों की संख्या लाखों में होती है। इस जलप्रपात से सालभर पानी बहता रहता है।
महान ऋषि कपिल मुनि की तपस्थली
कपिल धारा के पास ही महान ऋषि कपिल मुनि का आश्रम है। इसके बारे में मान्यता है कि कपिल मुनि ने इसी स्थान पर कठोर तप किया था। इस दौरान कपिल मुनि ने प्रसिद्ध सांख्य दर्शन की रचना की थी। वर्षों तक यहां पर कपिल मुनि साधना करने के कारण इस जलप्रपात का नाम कपिल धारा पड़ा। कपिल धारा के पास की गुफाओं में आज भी अनेक साधु-संन्यासी तप में लीन हैं। यह स्थान प्रकृति की गोद में बसा बहुत ही आलौकिक स्थान है। यहां आकर आपको परम शांति का अनुभव होगा। मां नर्मदा की यात्रा का यह पहला पड़ाव बेहद रमणीय और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। कलकल करती मां रेवा की धारा और कपिल मुनि आश्रम के आसपास हजारों दुर्लभ जड़ी-बूटियां प्रचुर मात्रा में पाई जाती हैं।
दूध के समान सफेद धारा से बनी दूध-धारा
कपिल धारा से कुछ ही दूरी पर थोड़ी नीचे जाने पर दूध-धारा जलप्रपात है। आप नाम से ही स्पष्ट है कि इस जलप्रपात का नाम दूध-धारा क्यों पड़ा होगा, क्योंकि मां नर्मदा का जल यहां दूध के समान सफेद दिखाई देता है। मां नर्मदा से निकलने वाली कपिल जलधारा में पवित्र मेकलसुता का एक छोर (किनारा) डिंडौरी जिले के करंजिया ब्लाॅक में आता है और दूसरा छोर अमरकंटक (अनूपपुर ) में आता है।