सहस्त्रधारा... यहां राजा सहस्त्रार्जुन ने अपने एक हजार हाथों से की थी मां नर्मदा के प्रवाह को रोकने की कोशिश




मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक आदिवासी जिला मंडला में सहस्त्रधारा सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। इस जगह में प्रकृति की एक ख़ास सुंदरता है, जहां मैग्नीशियम, चूना पत्थर और बेसाल्ट चट्टानों के माध्यम से हज़ार गहरी संकीर्ण चैनलों से पानी का प्रवाह होता है। इससे ग्रिड की तरह एक सुंदर पैटर्न बन जाता है। मुख्यालय से 4 किमी दूर मां नर्मदा के तट पर स्थित पर्यटन स्थल सहस्त्रधारा में ग्रेनाइट की काली चट्टानों के बीच मां नर्मदा की कल कल करती बहती जलधारा को देखने बड़ी संख्या में लोग आम दिनों में पहुंचते हैं। बरसात में मां नर्मदा का सौंदर्य अद्भुत और आश्चर्यजनक होता है। मां नर्मदा की जलधाराएं और खूबसूरती नजदीक से देखने के फेर में लोग तट के एकदम किनारे पहुंच जाते हैं। सहस्त्रधारा मंडला जिला का काफी प्राचीन स्थान है। मां नर्मदा नदी के प्रपात के कारण यह स्थान अपनी सुंदरता के चरम पर होता है।



राजा सहस्त्रबाहु अर्जुन की वजह से पड़ा सहस्त्रधारा नाम


ऐसी मान्यता है कि इसी स्थान पर राजा सहस्त्रबाहु अर्जुन ने मां नर्मदा के प्रवाह को अपनी हजार बाहुओं से रोकने का प्रयत्न किया था। परिणामस्वरूप मां नर्मदा की हजार धाराएं उत्पन्न हुईं और जलप्रपात के रूप में बिखर गईं। तभी से इस स्थान को सहस्त्रधारा कहा जाने लगा। मंडला मां नर्मदा का पहला पड़ाव है, जो डिंडौरी से करीब 100 और अमरकंटक से 190 किमी दूर मां नर्मदा के उत्तरी तट पर बसा है। सुंदर घाटों और मंदिरों के कारण यहां पर स्थित सहस्रधारा का दृश्य अत्यंत सुन्दर और आकर्षक नजर आता है। 



सहस्त्रबाहु अर्जुन ने रावण को भी किया था पराजित 


प्राचीन कथा के अनुसार, एक बार रावण सहस्त्रबाहु अर्जुन को जीतने की इच्छा से उनके नगर गया। मां नर्मदा की जलधारा देखकर रावण ने वहां भगवान शिव का पूजन करने का विचार किया। जिस स्थान पर रावण पूजा कर रहा था, वहां से थोड़ी दूर सहस्त्रबाहु अर्जुन अपनी पत्नियों के साथ जलक्रीड़ा में मग्न था। सहस्त्रार्जुन ने खेल-खेल में अपनी हजार भुजाओं से नर्मदा का प्रवाह रोक दिया। जब रावण ने ये देखा तो उसने अपने सैनिकों को इसका कारण जानने के लिए भेजा। सैनिकों ने वापस आकर रावण को पूरी बात बता दी। फिर रावण ने सहस्त्रबाहु अर्जुन को युद्ध के लिए ललकारा। मां नर्मदा के तट पर ही रावण और सहस्त्रबाहु अर्जुन में भयंकर युद्ध हुआ। अंत में सहस्त्रबाहु ने रावण को बंदी बना लिया। जब यह बात रावण के पितामह (दादा) पुलस्त्य मुनि को पता चली तो उन्होंने सहस्त्रार्जुन से रावण को छोड़ने के लिए निवेदन किया। सहस्त्रबाहु ने रावण को छोड़ दिया और मित्रता कर ली।



एक कथा के अनुसार, भगवान के अवतार परशुराम ने किया था सहस्त्रबाहु का वध


एक पौराणिक कथानुसार, किसी समय सहस्त्रार्जुन माहिष्मती के मार्ग से जा रहे थे, तभी भगवान के अवतार परशुराम युद्ध की मंशा से उनके समीप आ पहुंचे। सहस्त्रबाहु ने देखा कि परशुराम उनसे युद्ध करने आ रहे हैं तो उनका सामना करने के लिए अपनी सेनाएं खड़ी कर दीं। परशुराम ने अकेले ही सहस्त्रबाहु की पूरी सेना का सफाया कर दिया। अंत में स्वयं सहस्त्रबाहु परशुराम से युद्ध करने के लिए आया। परशुराम ने उसके हजार भुजाओं को अपने फरसे से काटकर सहस्त्रबाहु अर्जुन का वध कर दिया। इस घटना का प्रतिशोध लेने के लिए सहस्त्रबाहु अर्जुन के पुत्रों ने बाद में ऋषि जमदग्नि का वध कर दिया। अपने निर्दोष पिता की हत्या से क्रोधित होकर परशुराम ने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रियों से विहीन कर दिया था।



सहस्त्रधारा के मनोरम दृश्य का वीडियो यहां क्लिक करके भी देख सकते हैं :


https://www.youtube.com/watch?v=HHYHRncSBfc


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