- प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की डिंडौरी शाखा में मंगलवार को मनाया गया संस्थापक ब्रह्मा बाबा का स्मृति दिवस
प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की डिंडौरी शाखा में मंगलवार को संस्थापक ब्रह्मा बाबा का निर्वाण दिवस मनाया गया। इसमें ईश्वरीय विश्वविद्यालय की आध्यात्मिक ऊर्जा और प्रभावों पर चर्चा की गई। यहां संचालक बीके संगीता ने ब्रह्मा बाबा के जीवन पर प्रकाश डाला और ईश्वरीय विश्वविद्यालय का परिचय दिया। कार्यक्रम की अध्यक्ष सपना जैन ने कहा कि ईश्वरीय विश्वविद्यालय से आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित मेकलसुता काॅलेज के प्राचार्य डॉ. बिहारी लाल द्विवेदी ने बताया कि ब्रह्मा बाबा का लौकिक नाम लेखराज कृपलानी था। उनका जन्म 15 दिसंबर 1876 को सिंध, हैदराबाद (वर्तमान पाकिस्तान) निवासी खूबचंद कृपलानी के घर में हुआ, जो हेडमास्टर थे। 'निर्विकारी, निरहंकारी, निराकारी बनो...' ब्रह्मा बाबा के अंतिम शब्द थे।
1948 में लेखराज कृपलानी से बने 'ब्रह्मा बाबा'
इसी क्रम में तिरुमित्र महिला मंडल की अध्यक्ष लक्ष्मी अहिरवार, नगर परिषद उपाध्यक्ष महेश पारासर, जनशिक्षण संस्थान के पीओ सुनील झारिया, अमरपुर से बीडी मूलचंदानी, वरिष्ठ नागरिक पीएन अवस्थी सहित अन्य ने भी ब्रह्मा बाबा के जीवन वृत्त पर बात की। अतिथियों ने कहा कि लेखराज कृपलानी को 1948 में 'ब्रह्मा बाबा' नाम मिला। वह एक विशेष आत्मा हैं, जिन्होंने जीवन में परमात्मा का साक्षात्कार किया। यही साक्षात्कार हर मनुष्य को कराने के लिए उन्होंने 'ईश्वरीय विश्वविद्यालय' नामक नई दुनिया की स्थापना की। कार्यक्रम के दौरान परिसर में सेवानिवृत्त शिक्षिका मोती उईके, रेखा मूलचंदानी ने पौधरोपण भी किया। वहीं, युवा दिवस पर आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता की विजेता रहीं साक्षी तिवारी, कृति पारासर और रानी पिपरहा को पुरस्कृत भी किया गया। कार्यक्रम में कैलाश मौहारे, पीपी शुक्ला, जानकी गुप्ता, ज्योति गुप्ता, लोकमणी पारासर, गीता तिवारी, श्रुति तिवारी, लक्ष्मी पारासर, सतीश वैश्य, सपना वैश्य, लालू राजपाल, संदीप चौरसिया, रोशनी चौरसिया आदि अनुयायी मौजूद थे।