- नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण की ओर से मां नर्मदा नदी पर डिंडौरी और अनुपपुर जिले की सीमा में 34 मीटर ऊंचे पक्के बांध का निर्माण प्रस्तावित
- कृषक संघर्ष मोर्चा सहित ग्रामीणों ने कोर्ट में लगाई थी जनहित याचिका, लंबी कानूनी लड़ाई के बाद कैबिनेट और प्राधिकरण ने वापस लिया था फैसला
डीडीएन रिपोर्टर | डिंडौरी/बजाग
डिंडौरी-अनूपपुर सीमा पर प्रस्तावित ₹984 करोड़ लागत की अपर नर्मदा परियोजना को निरस्त करने की मांग लेकर बजाग तहसील की ग्रामसभा और कृषक संघर्ष मोर्चा ने शुक्रवार को SDM महेश मंडलोई को ज्ञापन सौंपा। इसमें बताया गया कि नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के माध्यम से मां नर्मदा नदी पर अपर नर्मदा परियोजना के तहत बांध का निर्माण प्रस्तावित है। स्थानीय नागरिकों की सुविधाओं का हवाला देकर पूर्व में कृषक संघर्ष मोर्चा ने कोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद मप्र कैबिनेट और प्राधिकरण ने बांध निर्माण परियोजना को वापस ले लिया था। फिर 20 मार्च को मीडिया में आई खबरों से किसानों को पता चला कि केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद योजना को नए बजट के साथ लागू किया जा रहा है। ग्रामसभा और किसान मोर्चा ने कहा कि सरकार भोलेभाले ग्रामीणों को ठग रही है। बांध बनने के कारण जिले के कई परिवार सड़क पर आ जाएंगे। उनका वर्तमान रहवास डूब क्षेत्र में आ जाएगा।
किसानों ने बैठक में बनाया बांध निरस्त करने का प्रस्ताव
किसानों ने ज्ञापन में बताया कि बांध से होने वाले नुकसानों को लेकर वह पूर्व में बैठक कर प्रस्ताव बना चुके हैं। इसी क्रम में आज नागरिकों ने राष्ट्रपति, राज्यपाल, अनुसूचित जनजाति आयोग अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, अनुसूचित जनजाति आयोग मप्र सहित अन्य संवैधानिक विभागों के नाम ज्ञापन सौंपकर संवैधानिक विरोध दर्ज कराया। ग्रामीणों ने कहा कि अनुपपुर का पुष्पराजगढ़ ब्लॉक अनुसूचित क्षेत्र के अधीन है। यहां 5वीं अनुसूची के प्रावधानों के तहत अनुसूचित जनजातियों को उनके प्रशासन व नियंत्रण, मूलभूत अधिकारों, पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था, रूढ़ि या प्रथा के संरक्षण, कल्याण, सामाजिक, आर्थिक विकास और उन्नयन का विशेषाधिकार है।
नर्मदा कछार परियोजना प्रभावित डूब क्षेत्र में शामिल
अपर नर्मदा परियोजना में प्रभावित डूब क्षेत्र में डिंडौरी जिले का नर्मदा कछार शामिल है, जहां पर किसान तीन तरह की फसलें उगाते हैं। गोरखपुर कृषि मंडी भी जिले में सबसे ज्यादा आय राजस्व के रूप में शासन के खजाने में जमा करती है। भौगोलिक दृष्टि से भी बांध बनाया जाना कतई उचित नहीं है। इसलिए परियोजना को पूरी निरस्त कर ग्रामीणों को राहत दी जाए। ज्ञापन सौंपते वक्त हरि सिंह मरावी, हरीश मरकाम, इंद्रपाल मरकाम, ददन सिंह धुर्वे, शालिगराम धुर्वे, अनिल वनवासी, कमल सिंह धुर्वे, पीतम सिंह धुर्वे, राम भरोसे नंदा, रामप्रसाद धुर्वे, अमृत सिंह धुर्वे, राजेंद्र मरावी, चमरूलाल साहू, यशवंत परस्ते, अशोक आर्मो, जीवन उद्दे आदि मौजूद थे।